Uncategorized गुमनामी Date: May 4, 2015Author: AJ 0 Comments मै हूँ एक पौधा, मगर सूखा हुआ तुम बिन, ना देखी बहार इसने, आये तो थे बसंत के दिन। हैं सपने कई मगर, शाम की तरह ढलते हुए, तुम बिन भी जिंदगी बीतेगी लेकिन, कोई अंजान राह चलते हुए। @j AdvertisementShare this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related