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माँ मैंने तेरे आँचल में,
दुःख अपने सारे बिसराये हैँ।
पाकर जन्नत तेरे कदमों की,
खुशियों के महल बनाये हैँ।

तूने ही माँ बचपन में मुझको,
लोरी गाकर के सुनाई थी।
प्यास लगी जब भी माँ मुझको,
ममता के सागर से तूने मेरी प्यास बुझाई थी।

माँ तूने मेरी ही खातिर,
था स्वर्ग जमीं पर बना दिया।
बस मेरी एक मुस्कान के लिए,
खुशियों को अपनी बिसरा दिया।

हो जन्नत से प्यारी तुम मुझको,
तुमने मुझपे सब कुर्बान किया।
हुआ धन्य माँ पाकर मै तुझको,
इतना तूने मुझको प्यार दिया।

For my dear mother…..

@j

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