कुछ रंग मिले जो खिल जाएं
हम तुझमे आकर के मिल जाएं
कुछ ख्वाब मिलें इन आँखों को
मन चाँद सा रोशन हो जाये
आन मिलो जब तुम मुझसे
ग़म के बादल सब छुप जाएं।।
कुछ ख्वाब दिखें तेरे मुझको
हर रात मुक़म्मल हो जाये
ना खोज सके कोई मुझको
यूँ दामन में तेरे हम खो जाएं।।
धागों सा बुनें कुछ खुद को हम
आँचल में तेरे बस गुँथ जाएं
हो दूर कभी जो ना तुझसे
साया सा तेरा हम बन जाएं
आन मिलो जब तुम मुझसे
हर ओर बहारें छा जाएं।।
@J
No one can ever know, how much I love you.
not bad
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Thnks bro
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Well done
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Thnx
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Loved this poem!!..really beautiful 🙂
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Thanks a lot..
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